Protests erupt outside Kasba Police station as 3 arrested in alleged Kolkata college gang rape
जानकारी के अनुसार छत्रपति संभाजी नगर जिले में स्थित घाटी अस्पताल में दवाओं की कमी बताई जा रही है और मरीजों को बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ती हैं। मरीजों के पास पैसे न होने से दवा न मिलना भी प्रमुख कारण बताया जा रहा है। इस घाटी अस्पताल में कुल 1177 बिस्तर हैं, जबकि इन बिस्तरों पर वास्तव में 1500 से 1700 मरीज रहते हैं।
मुंबई। मुंबई के दो अस्पतालों में पिछले 24 घंटे में दो नवजात शिशुओं समेत 17 लोगों की मौत हो गई है। इनमें छत्रपति संभाजीनगर में स्थित घाटी शासकीय अस्पताल में दो नवजात शिशुओं समेत दस और नांदेड़ स्थित शंकरराव चव्हाण अस्पताल में सात मरीजों की मौत हुई है। मेडिकल शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने इस घटना की जांच का आदेश दिया है।
जानकारी के अनुसार छत्रपति संभाजी नगर जिले में स्थित घाटी अस्पताल में दवाओं की कमी बताई जा रही है और मरीजों को बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ती हैं। मरीजों के पास पैसे न होने से दवा न मिलना भी प्रमुख कारण बताया जा रहा है। इस घाटी अस्पताल में कुल 1177 बिस्तर हैं, जबकि इन बिस्तरों पर वास्तव में 1500 से 1700 मरीज रहते हैं। इस अस्पताल में प्रतिदिन 60 से 70 प्रसव होते हैं। घाटी अस्पताल में प्रतिदिन बाह्य रोगियों की संख्या 1500 से 2000 के बीच है। साथ ही रोजाना ओपीडी मरीज 200 के करीब है। इतनी बड़ी संख्या में मरीजों को संभालने वाले घाटी अस्पताल में अगले 15 दिन की लिए दवा का स्टॉक रहता है। दवाओं की कमी से अस्पताल में मरीजों के मरने की संख्या बढ़ रही है।
बताया गया कि इसी तरह नांदेड़ के शंकरराव चव्हाण अस्पताल में पिछले 24 घंटे में सात मरीजों की मौत हुई है, जबकि यहां 48 घंटे में 31 मरीजों की मौत हो चुकी है। इसलिए यहां भी स्वास्थ्य व्यवस्था वेंटिलेटर पर पहुंच गई है। नांदेड़ में भी मरीजों की मौत की घटना की भी जांच छानबीन की जा रही है।
अस्पतालों में लोगों की मौतों पर महाराष्ट्र के मेडिकल शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने मंगलवार को बताया कि इन मामलों की गहन छानबीन करवाई जाएगी। सभी मरीज काफी देरी से अस्पताल में आए थे, इसलिए इन सभी को बचाया नहीं जा सका। लेकिन मामले की छानबीन के बाद जो भी दोषी पाया जाएगा ,उस पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
मुश्रीफ ने बताया कि इसकी सूचना मिलते ही उन्होंने अस्पताल प्रशासन से बात की है। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि मरीजों की मौत का कारण अन्य अस्पतालों में भर्ती होने के बाद पैसे की कमी होने पर सरकारी अस्पतालों में मरीजों को लाना मुख्य कारण है। फिर भी मामले की छानबीन की जा रही है।